Sunday 11 January 2015

Practice make perfect,
Practice is the best master.
You play the way you practice.

हम अभ्यास या प्रैक्टिस  के महत्व को नकार नहीं सकते , हमारा पढ़ना सीखना पर्याप्त नहीं  है , जबतक हम उसका मनन और अभ्यास नहीं करते.
एक सामान्य सी शिकायत मैं अपने छात्रों से सुनाता हूँ , मैंने सब कुछ अच्छा किया था पर अंक या मार्क्स नहीं मिले. इस ले मूल मैं अभ्यास की कमी है |
हमें कोई क्रिकेट मैच खेलना हो  या किसी प्रतियोगिता मैं भाग लेना हो, हम महीनों अभ्यास करते है ,अपने सुधार की समीक्षा करते है पर  जिस परीक्षा, और पढाई    के आधार पर आजीविका का रास्ता बनाना है उसके सम्बन्ध मैं हम कोई अभ्यास  नहीं करते | आप सोचते है हमें आता है, इस में अभ्यास की क्या आवश्यकता है |आप कंप्यूटर या मोबाइल पर गेम खेलते है , एक ही गेम बार-बार खेलने पर क्या अन्तर महसूस करते है ? हर बार आप को पहले से कम समय लगता है , अधिक दक्षता से खेल पाते है . जब कभी आप कंप्यूटर पर टाइप करते है और एक  professional  टाइपिस्ट  टाइप करता है तो गति और शुद्धता का अंतर अभ्यास के कारण होता है.
इसलिए हमने जो पढ़ा  है उसका मनन और जो सीखा है उसका अभ्यास आवश्यक है | सीखी बातों को  लिख कर देखने से हमारी लिखने के गति बढ़ेगी ,हमारे सोचने और लिखने के बीच सामंजस्य बढेगा  और हम त्रुटिहीन ,व्यवस्थित लिख पाएंगे . जब हम अपना लिखा पढ़ कर समीक्षा करेंगे तो हम अपनी गलतियाँ सुधार सकेंगे , हमें अधिक समय तक याद रख पायेंगे |इसीलिए कहा गया है :
करत  करत अभ्यास  के जड़ मति होत सुजान

रसरी आबत जात के सिल पर परत निसान

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