Friday 9 September 2016

माइंड मैप


  • माइंड मैप का उपयोग करने से हमारी फोटोग्राफ़िक मेमोरी बढती है. याद रखना बहुत आसन हो जाता है, रट्टा लगाने की जरुरत नहीं रहती. स्टूडेंट्स के लिए वरदान हैं माइंड मैप्स.

यदि आप यह सोचते हैं कि परीक्षा से एक दिन पहले पढ़ाई कर आप अच्छे नम्बर ला सकते हैं तो शायद आप खुद को ही धोखे में रख रहे हैं। परीक्षा में अच्छे नम्बर लाने के लिए लगातार प्रयास करने पड़ते हैं, विषय की समझ रखने की जरूरत होती है और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है रिवीजन करना।
  • विशेषज्ञों के मुताबिक हमारी शॉर्ट टर्म मेमरी कम जानकारी याद रख सकती है यानी तीस दिनों की कुल पढ़ाई का सिर्फ 20 फीसदी ही हमें याद रह सकता है। बिना रिवीजन के हमारी पूरी पढ़ाई बर्बाद हो सकती है। कई रिसर्च से यह बात साबित हुई है कि विज्युअली रिवाइज करने से हमारी स्मरण शक्ति बढ़ती है, पर विज्युअली रिवाइज करने का तरीका क्या हो? विज्युअली रिवाइज करने का तरीका है माइंड मैपिंग नाम की एक तकनीक के पास। यह एक ऐसी नई तकनीक है, जो आपको विषय को समझने और याद रखने में मदद करेगी। मस्ती से भरी इस एक्टिविटी का इस्तेमाल आप नोट्स मेकिंग, ब्रेनस्टॉर्मिग, अध्ययन, मेमराइजेशन में कर सकते हैं।
    आजकल यह तकनीक पढ़ी हुई चीजें याद रखने में बहुत सहायक हो रही है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह तकनीक है क्या? इसके जवाब के लिए आपको सबसे पहले इसके बारे में जानना होगा। माइंड मैप एक डायग्राम है, जिसका उपयोग विषय के टॉपिक को समझने के लिए किया जाता है। माइंड मैप्स अक्सर हायरारिकल या ट्री ब्रांच फॉरमेट में बनाए जाते हैं, जिसमें आइडियाज की ब्रांचेज निकलती हुई लगती हैं। ये सिर्फ खूबसरत पिक्चर नहीं है, बल्कि अलग-अलग टॉपिक्स के बीच कनेक्शन्स बनाने की कला का मिश्रण है। इसमें ज्ञान का सही उपयोग होता है, जिसके लिए दिमाग का सही इस्तेमाल होता है।
    इसका स्ट्रक्चर बनाने के लिए विशेष स्किल्स की जरूरत होती है। यह विषय याद रखने के लिए छात्र को सबसे पहले विषय को समझने के लिए प्रेरित करता है, क्योंकि अगर आप किसी टॉपिक को ठीक से समझ नहीं ही पाएंगे तो पिक्चर भी ठीक से ड्रॉ नहीं कर पाएंगे। आपको हर विषय का सिलेबस और परीक्षा का पैटर्न पता होना चाहिए। माइंड मैप्स बनाने के लिए आपका रचनात्मक होना जरूरी है।
    माइंड मैप बनाने का तरीका
    1. किसी पेपर के बीचोंबीच इमेज बना कर कलर करें और मुख्य टॉपिक लिखें, क्योंकि कलरफुल इमेजेज के जरिए हमारे दिमाग को टॉपिक याद रखने में मदद मिलती है। जो भी प्वाइंट्स हों, उन्हें बुलेट देकर लिखें।
    2. टॉपिक की शाखाएं बनाएं और अध्याय की मुख्य बातें अलग-अलग कलर और शेप्स में लिखना शुरू करें। लिखने के लिए ज्यादा से ज्यादा कलर का इस्तेमाल करना बेहतर होगा।
    3. अब शाखाओं के साथ दूसरे सब-टॉपिक्स के नाम और उनके नीचे उनके बारे में महत्वपूर्ण बातें लिखें। इनके साथ-साथ अलग-अलग इमेजेज भी बनाते जाएं। इससे रिवीजन करने में फायदा होगा।
    4. एक अच्छे माइंड मैप के लिए शुरुआत में किसी टॉपिक को पढ़ते समय ही उसकी मुख्य बातें अलग लिख ली जाएं, ताकि आगे माइंड मैप बनाने में आसानी रहे। एक बार जब आपको टॉपिक की पूरी समझ हो जाएगी तो सिर्फ कीवर्डस याद रखने से ही परीक्षा के समय आपको पूरा माइंड मैप याद आ जाएगा और परीक्षा का उत्तर आराम से लिख पाएंगे।
    माइंड मैप बनाने के नियम
    1. किसी भी पेज के बीच से शुरू करें, मेन टॉपिक लिखें।
    2. उस टॉपिक से संबंधित सब-टॉपिक्स के प्वॉइंट्स लिखें।
    3. इसी तरह से आगे के सब-टॉपिक्स के प्वॉइंट्स लिखें।
    4. कलर्स, ड्रॉइंग्स और सिम्बल्स, ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें
    5. शीर्षक छोटे रखें।
    6 टैक्स्ट साइज अलग कलर, अलग साइज और अलग फॉन्ट में हो।
    माइंड मैपिंग के फायदे
    ये ब्रेन फ्रेंडली है।
    हमारा दिमाग कुछ सेकेंड्स में ही सैकड़ों इमेज प्रोसेस कर सकता है।
    मैप यह दर्शाता है कि दिमाग कैसे याद रखता है और फैक्ट्स को कैसे लिंक करता है।
    रिव्यू करना बहुत आसान है।
    माइंड मैप प्रोसेस डीप लर्निंग पर आधारित है।
    माइंड मैपिंग तकनीक मनोरंजन के साथ पढ़ाई या रिवीजन में काफी मददगार हो सकती है।
    डायग्राम बना कर पढ़ने से टॉपिक का कॉन्सेप्ट समझ आता है और याद करने में आसान होता है।

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