सीमा स्थिति डिजाइन विधि में संतुलित अनुभाग, अल्प-सुदृढ़ अनुभाग, और अति-सुदृढ़ अनुभाग की व्याख्या
1. संतुलित अनुभाग:
- परिभाषा: संतुलित अनुभाग वह होता है जिसमें इस प्रकार डिजाइन किया जाता है कि स्टील सुदृढ़ीकरण और कंक्रीट अपने-अपने अंतिम शक्ति स्तर तक एक साथ पहुंचते हैं जब अनुभाग अपनी अंतिम मोमेंट क्षमता (ultimate moment capacity) तक पहुंचता है।
- विशेषताएँ: संतुलित अनुभाग में, स्टील (तनाव में) और कंक्रीट (संपीड़न में) दोनों का पूरा उपयोग होता है। स्टील में तनाव की दर उतनी ही होती है जितनी कि कंक्रीट में क्रशिंग तनाव की दर।
- परिणाम: इस प्रकार का अनुभाग सैद्धांतिक रूप से दोनों सामग्रियों के अधिकतम शक्ति उपयोग की पेशकश करता है लेकिन विफलता के कगार पर होता है।
2. अल्प-सुदृढ़ अनुभाग:
- परिभाषा: अल्प-सुदृढ़ अनुभाग इस प्रकार डिजाइन किया जाता है कि स्टील सुदृढ़ीकरण कंक्रीट के क्रशिंग तनाव तक पहुंचने से पहले अपनी यील्ड शक्ति तक पहुंच जाता है।
- विशेषताएँ: इस अनुभाग में, स्टील पहले यील्ड करता है और विफलता से पहले महत्वपूर्ण विकृति होती है, जिससे गिरावट से पहले पर्याप्त चेतावनी संकेत मिलते हैं (जैसे बड़ी विकृतियाँ और दरारें)। कंक्रीट को विफलता के बिंदु पर पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जाता है।
- परिणाम: यह अनुभाग लचीला होता है और अधिक सुरक्षित होता है क्योंकि यह विफलता से पहले संकट के स्पष्ट संकेत दिखाता है, जिससे रोकथाम के उपाय किए जा सकते हैं।
3. अति-सुदृढ़ अनुभाग:
- परिभाषा: अति-सुदृढ़ अनुभाग इस प्रकार डिजाइन किया जाता है कि कंक्रीट अपने क्रशिंग तनाव तक स्टील के यील्ड होने से पहले पहुंच जाता है।
- विशेषताएँ: इस अनुभाग में, कंक्रीट बिना किसी विकृति के अचानक विफल हो जाता है, और स्टील को पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जाता है।
- परिणाम: यह अनुभाग असुरक्षित होता है क्योंकि यह अचानक और बिना किसी चेतावनी के विफल हो जाता है, जिससे विनाशकारी विफलता हो सकती है।
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